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खंडेलवाल समाज की कुलदेवियों के प्रमुख स्थल: धार्मिक आस्था का केंद्र

खंडेलवाल समाज के 72 प्रमुख गोत्र, जिनकी अपनी-अपनी कुलदेवियां और धार्मिक स्थल हैं, समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को प्रदर्शित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख गोत्र हैं आमेरिया, जिनकी कुलदेवी आमन माता हैं, अटोलिया की सुरांद माता, बडाया की सरसा माता, और भंडारिया की जीन माता। प्रत्येक गोत्र की कुलदेवी और उनके स्थान समाज की आस्था और परंपराओं का प्रतीक हैं, जो खंडेलवाल समाज के इतिहास और विरासत को जीवंत बनाए रखते हैं।

खंडेलवाल समाज के 72 गोत्रों की प्रमुख विशेषताएं:

  • 72 गोत्रों की सूची: खंडेलवाल समाज के 72 प्रमुख गोत्र, जिनकी अपनी कुलदेवियां और धार्मिक स्थल हैं।
  • प्रमुख कुलदेवियां: विभिन्न गोत्रों की कुलदेवियां जैसे आमन माता, सुरांद माता, सरसा माता, और जीन माता समाज की धार्मिक आस्था का केंद्र हैं।
  • स्थान: कुलदेवियों के मंदिर राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं, जैसे आमलौदा, कोटपूतली, तालहिल्स और खंडेला।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: समाज की परंपराएं और संस्कृति इन कुलदेवियों और धार्मिक स्थलों के माध्यम से संरक्षित और पोषित होती हैं।
  • सामुदायिक एकता: खंडेलवाल समाज की धार्मिक आस्था और परंपराएं समाज में एकता और सद्भावना का प्रतीक हैं।

खंडेलवाल समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं सदियों से उसकी पहचान और गौरव का प्रतीक रही हैं। समाज के प्रत्येक गोत्र की अपनी एक विशेष कुलदेवी होती है, जिसे परिवार और समाज के लोग विशेष रूप से पूजते हैं। ये कुलदेवियां न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि समाज की एकता और सामूहिक संस्कृति की भी प्रतीक हैं। हर साल समाज के लोग इन पवित्र स्थलों पर दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं और सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना कर अपनी परंपराओं को निभाते हैं।

खंडेलवाल समाज की धार्मिक आस्था और परंपराएं हमेशा से ही मजबूत रही हैं, और कुलदेवियों का विशेष महत्व इस समाज के प्रत्येक परिवार के जीवन में गहराई से जुड़ा हुआ है। कुलदेवियां खंडेलवाल समाज के विभिन्न गोत्रों के साथ पारंपरिक रूप से पूजी जाती हैं, और इनके मंदिर विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं, जो समाज के लिए आस्था और श्रद्धा के महत्वपूर्ण केंद्र हैं।

खंडेलवाल समाज के 72 गोत्र, जिनकी अपनी-अपनी कुलदेवियां और धार्मिक स्थल होते हैं, समाज की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक हैं। यह गोत्र व्यक्ति की पहचान और उनकी पारिवारिक परंपराओं का हिस्सा होते हैं। यहाँ सभी 72 गोत्रों की जानकारी दी जा रही है:

  1. आमेरिया: इनकी कुलदेवी आमन माता हैं, जो दूडी, आमलोडा (मनोहपुर से 13 किमी पूर्व) में स्थित हैं।
  2. आकड़: इनकी कुलदेवी तिलिधेहद माता हैं।
  3. अटोलिया: इनकी कुलदेवी सुरांद माता हैं, जो सरुद खेड़ा ग्राम, कोटपूतली-डबल रोड पर स्थित हैं।
  4. बडाया: इनकी कुलदेवी सरसा माता हैं, जो तहला हिल्स के पास हैं।
  5. बडेरा: इनकी कुलदेवी जंबंध माता हैं, जो जमुआ रामगढ़ डैम के पास स्थित हैं।
  6. बजरगां: इनकी कुलदेवी कोलेन माता हैं, जो हमीरपुर, तहसील बानसूर, जिला अलवर में स्थित हैं।
  7. बनवाड़ी: इनकी कुलदेवी सार हैं, जो बगरू, रामगढ़ टर्निंग पर स्थित हैं।
  8. बर्गोटी: इनकी कुलदेवी सुरांद माता हैं।
  9. बटवारा: इनकी कुलदेवी वक्रा हैं, जो मचाड़ी, राजगढ़, जिला अलवर में स्थित हैं।
  10. बावरिया: इनकी कुलदेवी सरसा माता हैं।
  11. भीमवाल: इनकी कुलदेवी गांवासनी माता हैं।
  12. भंडारिया: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं, जो जयपुर-रींगस-गोरिया-रेवासा धाम पर स्थित हैं।
  13. भांगला: इनकी कुलदेवी सेतलबास हैं, जो खंडेला में स्थित हैं।
  14. भुखमारिया: इनकी कुलदेवी आमन माता हैं।
  15. बूसर: इनकी कुलदेवी सरसा माता हैं।
  16. बुदवारिया: इनकी कुलदेवी नागिन माता हैं, जो अमरसार के पास स्थित हैं।
  17. बम्ब: इनकी कुलदेवी सांवरेद हैं, जो रामगढ़ टर्न, जयपुर में स्थित हैं।
  18. दांस: इनकी कुलदेवी विंजिल माता हैं, जो तहसील बनली (सवाई माधोपुर) में स्थित हैं।
  19. दांगयाच: इनकी कुलदेवी शाकंभरी माता हैं, जो लोहारगढ़ से 8 किमी दूर स्थित हैं।
  20. धमानी: इनकी कुलदेवी सेतलबास हैं।
  21. धोकरिया: इनकी कुलदेवी दवरी माता हैं, जो लोहारगढ़, फतेहपुर शेखावटी में स्थित हैं।
  22. दुसाद: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  23. फरसोहिया: इनकी कुलदेवी बामुरी माता हैं।
  24. घिया: इनकी कुलदेवी चामुंडा माता हैं।
  25. गोलया: इनकी कुलदेवी बिरहल माता हैं।
  26. हल्दिया: इनकी कुलदेवी सुरांद माता हैं।
  27. जांघिनिया: इनकी कुलदेवी सुरांद माता हैं।
  28. जसोरिया: इनकी कुलदेवी बामोरी माता हैं।
  29. झालानी: इनकी कुलदेवी धवाड़ माता हैं, जो अजमेर की पहाड़ियों पर स्थित हैं।
  30. काथ: इनकी कुलदेवी मित्र माता हैं, जो ग्राम मचाड़ी, राजगढ़, जिला अलवर में स्थित हैं।
  31. कसलीवाल: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  32. कट्टा: इनकी कुलदेवी आंतन माता हैं, जो वीर हनुमान मंदिर के नीचे, सामोद में स्थित हैं।
  33. कायथवाल: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  34. केदावत: इनकी कुलदेवी नवद माता हैं।
  35. खरवाल: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  36. खटोरिया: इनकी कुलदेवी भंवर केथर माता हैं।
  37. खुंटेटा: इनकी कुलदेवी कपासन माता हैं।
  38. किलकिलिया: इनकी कुलदेवी नंदभगौनी माता हैं।
  39. कोड़िया: इनकी कुलदेवी कांकस माता हैं।
  40. कूलवाल: इनकी कुलदेवी शाकंभरी माता हैं।
  41. लाभी: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  42. मठ: इनकी कुलदेवी वतवीर माता हैं।
  43. माचीवाल: इनकी कुलदेवी सार हैं।
  44. महारवाल: इनकी कुलदेवी चामुंडा माता हैं।
  45. माली: इनकी कुलदेवी सरसा माता हैं।
  46. मामोडिया: इनकी कुलदेवी सुरांद माता हैं।
  47. मनक बोहरा: इनकी कुलदेवी सारगड़े हैं।
  48. मंगोड़रिया: इनकी कुलदेवी दहकवासन माता हैं।
  49. मेथी: इनकी कुलदेवी अमराल माता हैं।
  50. नैनवा: इनकी कुलदेवी वक्रा हैं।
  51. नैनिवाल: इनकी कुलदेवी आंतन माता हैं।
  52. नातानी: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  53. निरायनवाल: इनकी कुलदेवी बामोरी माता हैं।
  54. ऊड़: इनकी कुलदेवी नवद माता हैं।
  55. पबूवाल: इनकी कुलदेवी मंडेर हैं।
  56. पटोडिया: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  57. पीतलिया: इनकी कुलदेवी बदवासिन माता हैं।
  58. राजोरिया: इनकी कुलदेवी सेतलबास हैं।
  59. रावत: इनकी कुलदेवी औरल माता हैं।
  60. सांभरिया: इनकी कुलदेवी चामुंडा माता हैं।
  61. संखुनिया: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  62. सेठी: इनकी कुलदेवी मखंद माता हैं।
  63. शहरा: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  64. सिंगोडिया: इनकी कुलदेवी चामुंडा माता हैं।
  65. सिरोहिया: इनकी कुलदेवी संगरा हैं।
  66. सोनी: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  67. सोंखिया: इनकी कुलदेवी कुरसाड़ माता हैं।
  68. टांबी: इनकी कुलदेवी नागिन माता हैं।
  69. टमोलिया: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  70. तातार: इनकी कुलदेवी जीन माता हैं।
  71. ठाकुरिया: इनकी कुलदेवी बामोरी माता हैं।
  72. टोडवाल: इनकी कुलदेवी आंतन माता हैं।

इन सभी गोत्रों के धार्मिक स्थल खंडेलवाल समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को समृद्ध बनाते हैं।

खंडेलवाल समाज की कुलदेवियों के ये प्रमुख स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को भी सहेजते हैं। समाज के विभिन्न गोत्रों के लोग नियमित रूप से इन स्थानों पर पूजा-अर्चना करते हैं, और अपनी कुलदेवियों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इन मंदिरों की यात्रा खंडेलवाल समाज की आस्था को और भी सुदृढ़ बनाती है, और यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है।

खंडेलवाल पत्रिका समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से इस तरह की जानकारी आपके सामने लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। आप अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट khandelwalpatrika.com पर विजिट कर सकते हैं।

 

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