महत्वपूर्ण बिंदु:
- यात्रा की शुरुआत: 7 सितंबर 2024, दोपहर 3:15 बजे, खंडेला धाम, सीकर।
- महायात्रा का उद्देश्य: धर्म, संस्कृति, और अध्यात्म का प्रसार करते हुए समाज में शांति और एकता को बढ़ावा देना।
- यात्रा का विस्तार: 7000 किलोमीटर की यह यात्रा विभिन्न धार्मिक स्थलों से गुजरेगी।
- आयोजन: धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
- धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान: भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं को पुनर्जीवित करना।
खंडेला, जिला सीकर: 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर श्री खंडेलवाल वैश्य तीर्थ स्थल ट्रस्ट द्वारा आयोजित “खंडेला धाम जागरण भारत यात्रा” का भव्य शुभारंभ हुआ। यह महायात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक है, जिसमें 7000 किलोमीटर की यात्रा के माध्यम से देशभर में धर्म और संस्कृति का प्रसार किया जाएगा। यात्रा का शुभारंभ खंडेला धाम से दोपहर 3:15 बजे हुआ, जो राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
खंडेला धाम जागरण भारत यात्रा का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को सशक्त करना है, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और सनातन परंपराओं को पुनर्जीवित करते हुए समाज को एकता और सहयोग की भावना से जोड़ना है। इस ऐतिहासिक आयोजन में देश के विभिन्न कोनों से लोग शामिल हो रहे हैं, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक उत्तराधिकार का सम्मान करने और उसे जीवित रखने का संकल्प ले रहे हैं।
यात्रा के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, जागरण, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे धर्म, आध्यात्म और संस्कृति की ज्योति को हर घर तक पहुंचाया जा सके। इसके साथ ही, यह यात्रा समाज में शांति, सद्भाव और सहयोग का संदेश भी फैलाएगी।
खंडेला धाम के महंत और ट्रस्ट के अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा, “खंडेला धाम जागरण भारत यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक यात्राएं करना नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से समाज में अध्यात्म और संस्कृति के महत्व को समझाना है। यह यात्रा हमारे आध्यात्मिक जीवन को पुनर्जीवित करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास है।”
इस महायात्रा का हिस्सा बनकर श्रद्धालु धर्म और आस्था के इस अद्वितीय आयोजन में भाग ले सकते हैं, जो 7000 किलोमीटर की दूरी तय करेगा और कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों से गुजरेगा।
यह महायात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक भी है, जो हमारे समाज को धार्मिक आस्था और परंपराओं से जोड़ते हुए नई ऊर्जा प्रदान करेगा।